The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing
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The murti, that's also noticed by devotees as ‘Maa Kali’ presides around the temple, and stands in its sanctum sanctorum. Listed here, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.
ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
Shodashi is deeply linked to the path of Tantra, the place she guides practitioners towards self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated because the embodiment of Sri Vidya, the sacred expertise that causes enlightenment.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम read more से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
Goddess Tripura Sundari can be depicted as being a maiden putting on brilliant scarlet habiliments, dim and prolonged hair flows and is totally adorned with jewels and garlands.
The noose symbolizes attachments, whereas the goad represents contempt, the sugarcane bow exhibits wishes, plus the flowery arrows depict the five feeling organs.
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥